जानें आपके काम से किस तरह जुड़ा है बीपी

जानें आपके काम से किस तरह जुड़ा है बीपी

सेहतराग टीम

अकसर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि काम के तनाव और दबाव के कारण उन्‍हें ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या हो गई। डॉक्‍टर भी बीपी की इलाज करते समय यह पूछते हैं कि मरीज के ऊपर काम का कैसा दबाव रहता है क्‍योंकि इससे बीमारी का अंदाजा लगाने में मदद मिलती है।

क्‍या सचमुच तनाव से बढ़ जाता है बीपी

सवाल है कि क्‍या सचमुच काम का तनाव ब्‍लड प्रेशर को बढ़ावा देता है? ब्‍लड प्रेशर और स्‍वस्‍थ्‍य जीवन नामक किताब लिखने वाले डॉक्‍टर जी.डी. थापड़ कहते हैं कि ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह का काम करते हैं। यदि आप ऐसा काम करते हैं जो आपको बहुत पसंद है और आपका मन उस काम को करने में रमता है तो फ‍िर आप उस काम को कितनी भी देर करें, आपको उसकी वजह से तनाव नहीं होगा और इसका आपके रक्‍त चाप पर भी कोई असर नहीं होगा। ऐसा कोई भी काम जिसे पूरा करने के लिए आप पर किसी का कोई दबाव, धमकी या ऐसा ही कोई और प्रेशर न हो और वो काम आपको पसंद भी हो तो आप तनाव मुक्‍त रहते हैं।

काम मनपसंद न हो तो

दूसरे तरह के काम के बारे में डॉक्‍टर थापड़ अपनी किताब में लिखते हैं कि दुर्भाग्‍य से आज की भाग दौड़ भरी दुनिया में अधिकतर लोगों को ऐसा काम करना पड़ रहा है जो उन्‍हें पसंद नहीं है, जिनमें उनका मन नहीं रमता है और जिसे मन मसोसकर करना पड़ता है। ऐसे काम को करने के लिए आपके ऊपर आपके दफ्तर, बॉस या और किसी तरह का भारी दबाव रहता है। काम को समय पर पूरा करने का भी प्रेशर बनाया जाता है। ये स्थिति आपके रक्‍तचाप को निश्चित रूप से प्रभावित करती है और बीपी बढ़ने का खतरा रहता है।

दिल्‍ली या अन्‍य दूसरे महानगरों में आजकल गाड़ी चलाना भी बड़ी समस्‍या है और ये भी तनाव को बढ़ाने में अपना पूरा योगदान दे रहा है क्‍योंकि लंबे समय तक जाम में रहने से ड्राइवर का धैर्य जवाब देने लगता है और ये उन्‍हें बीपी का शिकार बना देता है।

डॉक्‍टर थापड़ काम को लेकर लोगों को खास सलाह देते हैं। इसके अनुसार:

काम को कभी लंबित नहीं रहने देना चाहिए और यदि ऐसे किसी कारण से काम लंबित रह जाता है जो कारण आपके नियंत्रण में नहीं हैं तो धैर्य रखना सीखें।

काम को कभी बीच में अधूरा न छोड़ें। यदि ऐसा कार्य है जिसे करने के लिए बहुत कोशिश की जरूरत है और कार्य एक दिन में नहीं हो सकता है तो उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट लीजिये और यह तय करें कि एक दिन में कौन सा हिस्‍सा करना है। ये सुनिश्चित करें कि उस तय दिन वो हिस्‍सा पूरा हो जाए।

आपको काम से पूर्ण संतुष्टि हासिल करने का लक्ष्‍य बनाना चाहिए। इसके लिए पहले यह सुनिश्‍चि‍त करें कि आपने काम को अच्‍छी तरह समझ लिया है और अब आप इसे अपनी पूरी योग्‍यता से करेंगे।

अपने हाथ में उतना ही काम लीजिये जितना पूरा कर पाना आपके लिए संभव हो। ध्‍यान रहे, एक दिन में काम के घंटे नियत होते हैं और आप अपनी सीमा से अधिक काम नहीं कर सकते।

काम के तनाव को दूर करने का इससे बेहतर कोई तरीका नहीं है कि दिन में कम से कम एक घंटा आराम करें। हफ्ते में एक दिन और दो साल में 15 दिन की छुट्टी जरूर करें ताकि शरीर को आराम मिल सके और छुट्टियां आनंदपूर्वक मनाएं।

आराम अथवा छुट्टी के दौरान रोजमर्रा के कार्यों को भूल जाएं और आने वाला कोई भी फोन न सुनें। इससे आप फि‍र से तरोताजा हो जाएंगे और दुगुनी क्षमता से काम कर पाएंगे।

डॉक्‍टर थापड़ कहते हैं: याद रखिये, संतुष्टिपूर्ण तरीके से किया गया कार्य आराम के क्षणों में बहुत ही सुकून देता है। इससे न हाई ब्‍लड प्रेशर होता है और न दिल का दौरा पड़ता है। इसलिए आपको काम का आनंद लेना सीखना चाहिए।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।